Friday 31 January 2014

जनसंख्या विस्फोट

भारत में 1950 के दशक में प्रति महिला बच्चों का औसत छह था.

लेकिन तब भारत ने जनसंख्या विस्फोट की समस्या को समझा और जनसंख्या नियंत्रण के सुनियोजित प्रयास करने वाला पहला देश बना.
तब से आधी सदी बाद आज भारत में जन्म दर घट के आधी रह गई है, लेकिन देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब भी भारी जनसंख्या ही है.

जनसंख्या के मामले में भारत से आगे एकमात्र देश चीन है.
भारत की जनसंख्या में हर साल ऑस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर लोग पैदा लेते हैं. और यह मान लिया गया है कि जनसंख्या में स्थिरता लाने का भारत का प्रयास नाकाम रहा है.
एक अरब
आस्था नामक बच्ची क़रीब ढ़ाई साल की है. वह दिल्ली में अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ रहती है.
प्रधानमंत्री वाजपेयी को भरोसा कि जनसंख्या वृद्धि पर काबू पाया जाएगा

आस्था की प्रसिद्धि एक विशेष कारण से है. वर्ष 2000 में उसे औपचारिक तौर पर एक अरबवाँ भारतीय घोषित किया गया था.
उसके जन्म के बाद भारत सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के काम में और ज़ोर लगाया, लेकिन देश की आबादी बढ़ कर 1.05 अरब हो चुकी है.
ताज़ा जनसंख्या वृद्धि मुख्य तौर पर हिंदीभाषी इलाक़ों में हुई है.
उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर दादरी में मोहम्मद उमर अपनी पत्नी आसिया बेगम के साथ रहते हैं.
सरकारी और ग़ैरसरकारी एजेंसियों द्वारा लगातार की स्तरों पर प्रसारितजनसंख्या नियंत्रण के संदेशों को इस युगल ने लगता है गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि उनके 24 बच्चे हैं.
बच्चे ही बच्चे
आसिया बेगम को जहाँ तक याद है, उन्होंने 29 बच्चों को जन्म दिया. उनके पाँच बच्चे चल बसे.
वह पहली बार भारत के आज़ाद होने के बाद 1947 में माँ बनीं. उसके बाद बच्चों को जन्म देने का सिलसिला बन पड़ा.
मेरे सारे बच्चे कामकाज में लगे हैं. परिवार चलाने में कोई परेशानी नहीं होती
चौबीस बच्चों के पिता मोहम्मद उमर

आसिया कहती हैं कि उनके इस्लाम धर्म में जनसंख्या नियंत्रण के साधनों का इस्तेमाल करने की मनाही है.
उन्होंने कहा, “ऑपरेशन कराना पाप है. यदि मैं ऑपरेशन कराती हूँ तो मरने के बाद मेरी कब्र पर कोई प्रार्थना नहीं की जाएगी.”
आसिया का मानना है कि स्वास्थ्य संबंधी गंभीर ख़तरे का सामना कर रहा कोई व्यक्ति ही ऑपरेशन करा सकता है.
आसिया और उमर के 24 बच्चे निश्चय ही कोई सामान्य बात नहीं है, लेकिन बड़े परिवार भारत में सामान्य हैं.
समस्याएँ

जनसंख्या विशेषज्ञ उषा राय ने कहती हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण की नीति अब भी सटीक नहीं है और परिवार नियोजन संबंधी बुनियादी उपायों की जानकारी भी सही ढ़ंग से प्रसारित नहीं हो पाई है.
उन्होंने कहा, “अब भी ऐसे अनेक लोग हैं जिन्हें कंडोम या निरोध की जानकारी नहीं है.”
उषा ने कहा, “यह एक बड़ी समस्या है.”
विशेषज्ञों का मानना है कि निरक्षरता जनसंख्या नियंत्रण की राह में एक बड़ा अवरोध है.
दादरी के थाने में काम करने वाले मोहम्मद उमर कहते हैं कि 24 बच्चे का बाप होने के बावजूद उन्हें इसके चलते कोई परेशानी नहीं महसूस होती.
उन्होंने कहा, “मेरे सारे बच्चे कामकाज में लगे हैं. परिवार चलाने में कोई परेशानी नहीं होती.”
उमर कहते हैं, “हमारे ऊपर कोई कर्ज़ नहीं है. हमारा ख़ुशहाल परिवार है.”
यह पूछने पर कि अब तो उन्होंने पूर्ण विराम लगाने का इरादा कर लिया होगा, मोहम्मद उमर पलट कर पूछते हैं, “आपको क्या लगता है, मैं सठिया गया हूँ?”
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